तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥ लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥ सङ्कर सुवन केसरीनन्दन । ** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ https://freekundali89000.dbblog.net/55368910/chalisa-an-overview